जब तक ह्शरते उफान पे थी
ज़िन्दगी हमारी तूफ़ान पे थी
नतीज़ा अच्छा नहीं होगा,,,,
वरना सच्ची बात जुबां पे थी
सिरफिरों ने उसकी जाँ ले ली
आस्था उसकी पुरान में थी
हमारी मुट्ठी में भी जँहा था
जब जवानी पूरी उठान पे थी
मरते मरते मर गया सेठ,,,
पर जाँ तो उसकी दूकान पे थी
अलग से ------
समंदर बहा ले गयी सब कुछ,,
जब कश्ती हमारी मुकाम पे थी
मुकेश इलाहाबादी -------------
ज़िन्दगी हमारी तूफ़ान पे थी
नतीज़ा अच्छा नहीं होगा,,,,
वरना सच्ची बात जुबां पे थी
सिरफिरों ने उसकी जाँ ले ली
आस्था उसकी पुरान में थी
हमारी मुट्ठी में भी जँहा था
जब जवानी पूरी उठान पे थी
मरते मरते मर गया सेठ,,,
पर जाँ तो उसकी दूकान पे थी
अलग से ------
समंदर बहा ले गयी सब कुछ,,
जब कश्ती हमारी मुकाम पे थी
मुकेश इलाहाबादी -------------
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