इश्क मेरा दे दे भले दुशवारियाँ दे दे
वर्ना दे दे सारे जहां की तन्हाइयां दे
शब् भर की ही सही मुलाक़ात तो दे
फिर चाहे सारे जहाँ की रुस्वाइयां दे
या खुदा आज उदास है मेरा साथिया
दे फिर से उसके गालों की सुर्खियाँ दे
सिर्फ दौलते इश्क से गुज़र कर लूंगा
तू दे मुझे सारे जहाँ की बरबादियाँ दे
रहने लगा है संजीदा मेरा महबूब
दे दे फिर से उसकी नादानियां दे
मुकेश इलाहाबादी -----------------
No comments:
Post a Comment