लिख के पूरे सफ़े पे नाम तेरा
हासिये पे लिख दिया है नाम अपना
जानता हूँ तेरा जवाब न आयेगा
फिर भी तुझे भेजा है सलाम अपना
दर्द, बेचैनी और तन्हाईयाँ
गुनगुना लेता हूँ अक्सर कलाम अपना
लिख के अफसाना ऐ दर्दे दिल
ज़माने मे नाम कर लूंगा गुमनाम अपना
अकेला ही कारवां मे बहुत हूँ
है सफ़र का कर लिया इंतजाम इतना
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
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