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Sunday, 17 March 2013

लिख के पूरे सफ़े पे नाम तेरा


लिख के पूरे सफ़े पे नाम तेरा
हासिये पे लिख दिया है नाम अपना

जानता हूँ तेरा जवाब न आयेगा
फिर भी तुझे भेजा है सलाम  अपना

दर्द, बेचैनी और तन्हाईयाँ
गुनगुना लेता हूँ अक्सर कलाम अपना

लिख के अफसाना ऐ दर्दे दिल
ज़माने मे नाम कर लूंगा गुमनाम अपना

अकेला ही कारवां मे बहुत हूँ
है सफ़र का कर लिया  इंतजाम इतना

मुकेश इलाहाबादी -----------------------

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