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Saturday, 24 December 2016

कभी अच्छा तो कभी बुरा दिखाता है

कभी अच्छा तो कभी बुरा दिखाता है
वक़्त इंसाँ को बहुत कुछ सिखाता है

परिंदों को उड़ना मछलीयों को तैरना
बुलबुल को चहकना कौन सिखाता है

जो कुछ कर गुज़रे वही अपना नाम
इतिहास की किताबों में लिखाता है

मुकेश बाबू लाख कोशिश कर ले कोई
तज़र्बा तो उम्र के साथ -साथ आता है  

मुकेश इलाहाबादी ------------------

Friday, 23 December 2016

दर्द जब हद से गुज़रेगा


दर्द जब हद से गुज़रेगा
कोई भी हो वो चीखेगा

तुम चुप हो जाओगे तो
सन्नाटा तुमसे बोलेगा

जब कोई अपना होगा
तो ही, टोकेगा रोकेगा

गर असली कुंदन है तो
आग में और निखरेगा

देखना इक दिन मुकेश
चन्दन बन के महकेगा

मुकेश इलाहाबादी -------   

Thursday, 22 December 2016

काली दे या कि गोरी दे

काली दे या कि गोरी दे
मुझको भी इक छोरी दे

सीधी हो कि, नकचढी
दुल्हन चाँद चकोरी दे

न तो टूटे न खुले जो
प्यार की ऐसी डोरी दे

ऐ-मौला मुकेश को भी
धन से भरी तिजोरी दे

मुकेश इलाहाबादी ---

Monday, 19 December 2016

इक बार चाँद छूने की तमन्ना है

इक बार चाँद छूने की तमन्ना है
इक बार तुझे पाने की तमन्ना है

अपने उजड़े हुए गुलशन को,तेरी  
सोहबत से सजाने की तमन्ना है

इक गुनाह करने के तमन्ना है
तेरा दिल चुराने की तमन्ना है

तू इक किनारा मैं वो किनारा
इक पुल बनाने की तमन्ना है

मैं खामोश हो जाऊँ इसके पहले
तुजे ग़ज़ल सुनाने की तमन्ना है

मुकेश इलाहाबादी -------------

Friday, 16 December 2016

कुछ इस तरह से दिल बहलाते रहे


कुछ इस तरह से दिल बहलाते रहे
आप को याद कर के मुस्कुराते रहे

यूँ तो पतझड़ ही रहा अपने हिस्से
हाँ तेरी यादों के मोगरा खिलाते रहे

भूल जाने की उनकी बुरी आदत है
ईश्क़ क्या है हमी, याद दिलाते रहे

ज़िंदगी की कोई बाज़ी वो हारे नहीं
लिहाज़ा हम ही दिल हार जाते रहे

मुकेश इलाहाबादी -----------------

Wednesday, 14 December 2016

ज़माने भर के तज़ुर्बे ने हमको भी कमीना बना दिया

ज़माने भर के तज़ुर्बे ने हमको भी कमीना बना दिया
वरना मुकेश हम भी कभी बड़े मासूम हुआ करते थे
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------

ज़माने भर के तज़ुर्बे ने हमको भी कमीना बना दिया

ज़माने भर के तज़ुर्बे ने हमको भी कमीना बना दिया
वरना मुकेश हम भी कभी बड़े मासूम हुआ करते थे
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------

मेरी तरह किसी के हिज़्र में होगा आफ़ताब



मेरी तरह किसी के हिज़्र में होगा आफ़ताब
वरना इस कदर न जल रहा होता आफ़ताब
सुना है, सदियों से किसी की ज़ुस्तज़ू में है,
मुकेश बिन रुके तभी तो चल रहा आफ़ताब
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------

Saturday, 10 December 2016

घाव कभी अयाँ न किया

घाव कभी अयाँ न किया
दर्द  कभी बयाँ न किया

रात ही रात रही उम्र भर
इसलिए अजाँ  न किया

शुरुआत में ही कुचल डाले
ख्वाबों को  जवाँ न किया

मुकेश इलाहाबादी -----

खामोश दरिया बहता रहा अपने दरम्यां

खामोश दरिया बहता रहा अपने दरम्यां
इक पुल भी न बन सका, अपने दरम्यां

माटी थी, धूप थी हवा थी पानी था,मगर 
गुले ईश्क़ न खिल सका, अपने दरम्यां

मुकेश इलाहाबादी --------------------

Friday, 9 December 2016

इक खामोश दरिया बहता रहा अपने दरम्यां

इक खामोश दरिया बहता रहा अपने दरम्यां
उम्र भर कोई पुल न बन सका अपने दरम्यां
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------

Wednesday, 7 December 2016

माथे पे जब सज जाती है ये बिंदिया

माथे पे जब सज जाती है ये बिंदिया
सभी को बहुत लुभाती है ये बिंदिया

हथेली के बीच ले के चूमूँ तेरा चेहरा
अँधेरे में भी जगमगाती है ये बिंदिया

अपनी जगह से फ़ैल के ये कुमकुम
रात की कहानी बताती है ये बिंदिया

आसमाँ के आँचल में सुबह का सूरज
किरणों सा फ़ैल जाती है ये बिंदिया

माँ के माथे पे गरिमा लगे, पत्नी के
माथे पे बहुत इठलाती है ये बिंदिया

मुकेश, थोड़ा सा भी प्यार मांगे तो
बहुत नखरे दिखाती है, ये बिंदिया


मुकेश इलाहाबादी ----------------------

Tuesday, 6 December 2016

जैसे, एक कंघी नए शेड की लिपिस्टिक

जैसे,
एक कंघी
नए शेड की लिपिस्टिक
आई ब्रो लाइनर
हेयर बैंड
कंगन और चूड़ियों के
एक दो सेट
कुछ छुट्टे पैसे
कुछ छोटे
कुछ बड़े नोट
और दो चार
पुराने कैश मेमो व
ज़रूरी कागज़ात
बस ऐसे ही
सहेज लो तुम मेरी यादें
मेरी बातें
मेरे अहसास
अपने वैनिटी बैग में
जिसे कोई छू भी न पाए
बगैर तुम्हारी इज़ाज़त के

मेरी प्यारी सुमी,
बस इत्ती सी इल्तज़ा है,

मुकेश इलाहाबादी -----

अक्सर, जब कभी मैं मशगूल होता हूँ किसी ज़रूरी काम में,

अक्सर,
जब कभी मैं
मशगूल होता हूँ
किसी ज़रूरी काम में,
उसी वक़्त,
तुम ,,
लाड़ में, पीछे से आकर
कंधो पे अपनी ठोड़ी रख कर
मुस्कुरा के पूछती हो,
"किस काम में इत्ता मशगूल हो ?'
सच -----
तब ऐसा लगता है
जैसे,
नाचती हुई धरती
आ गिरी हो
सूरज की गोद में

मेरी प्यारी सुमी ,,,,,,


मुकेश इलाहाबादी -----

Monday, 5 December 2016

मेरे पास, कुछ भी नहीं है

मेरे पास,
कुछ भी नहीं है
तुम्हे देने को,
सिवाय
खुली खिड़की 
बड़ा खूब बड़ा आसमाँ
सुहानी शाम
अंजुरी भर, मोगरा के फूल
और ,,,,,
ढ़ेर सारा प्यार,
ग़र ,
इत्ते में निबाह कर सकती हो, तो
आ जाना,
मिलूंगा तुम्हे इंतज़ार करता
उसी ठाँव, जहाँ छोड़ गयी थी तुम
मुझे, पहले बहुत पहले
(मेरी प्यारी सुमी)
मुकेश इलाहाबादी ---

जब से तुम्हारा आना जाना हो गया

जब से तुम्हारा आना जाना हो गया
शहर का मौसम भी सुहाना हो गया

लोग भूल बैठे थे  ईश्क़  करना, अब
हर  कोई  तुम्हारा  दीवाना हो गया

सुना है तुम्हारी तबियत नासाज़ है
तुमसे  मिलने  का  बहाना हो गया

मुकेश तुम्हारी आँखों के आईना में
अपनी सूरत देखे ज़माना हो गया

मुकेश इलाहाबादी ---------------------

जब से तुम्हारा आना जाना हो गया

जब से तुम्हारा आना जाना हो गया
शहर का मौसम भी सुहाना हो गया

लोग भूल बैठे थे  ईश्क़  करना, अब
हर  कोई  तुम्हारा  दीवाना हो गया

सुना है तुम्हारी तबियत नासाज़ है
तुमसे  मिलने  का  बहाना हो गया

मुकेश तुम्हारी आँखों के आईना में
अपनी सूरत देखे ज़माना हो गया

मुकेश इलाहाबादी ---------------------

Saturday, 3 December 2016

मेरी नज़्म मेरी ग़ज़ल मेरी रुबाई ले ले

मेरी नज़्म मेरी ग़ज़ल मेरी रुबाई ले ले
मेरा दुःख, मेरा दर्द मेरी तनहाई ले ले

यकीं कर मुझपे, तेरा हूँ  तेरा ही रहूँगा
तू चाहे तो चाँद तारों की गवाही ले ले

जा रहे हो जाओ मगर जाने के पहले
दिल से ज़ेहन से यादों से विदाई ले ले

मुकेश इलाहाबादी ---------------------

Friday, 2 December 2016

सुखः दुःख बतियाओगे कब

सुखः दुःख बतियाओगे कब
मुझसे मिलने आओगे कब

है, सावन की पहली बारिश,
हाथ पकड़ कर भीगोगे कब

झूठ- मूठ की बातों को ले के
फिर तुम मुझसे रूठोगे कब

दिल के कोरे काग़ज़ पे तुम
ईश्क़ की बात लिखोगे कब

मैंने तो कह दी अपनी बात
तुम अपने लब खोलोगे कब

मुकेश इलाहाबादी -----------

Thursday, 1 December 2016

शख्श बहुत खुशनसीब होगा

शख्श बहुत खुशनसीब होगा
आपको जिसका इंतज़ार होगा

फरिश्तों को भी रश्क होगा !!
जिससे आप को प्यार होगा

खुशी से पागल न हो जाऊँ ?
जिस दिन तेरा दीदार होगा

मुकेश इलाहाबादी ------------