कभी अच्छा तो कभी बुरा दिखाता है
वक़्त इंसाँ को बहुत कुछ सिखाता है
परिंदों को उड़ना मछलीयों को तैरना
बुलबुल को चहकना कौन सिखाता है
जो कुछ कर गुज़रे वही अपना नाम
इतिहास की किताबों में लिखाता है
मुकेश बाबू लाख कोशिश कर ले कोई
तज़र्बा तो उम्र के साथ -साथ आता है
मुकेश इलाहाबादी ------------------
वक़्त इंसाँ को बहुत कुछ सिखाता है
परिंदों को उड़ना मछलीयों को तैरना
बुलबुल को चहकना कौन सिखाता है
जो कुछ कर गुज़रे वही अपना नाम
इतिहास की किताबों में लिखाता है
मुकेश बाबू लाख कोशिश कर ले कोई
तज़र्बा तो उम्र के साथ -साथ आता है
मुकेश इलाहाबादी ------------------