एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 9 December 2016
इक खामोश दरिया बहता रहा अपने दरम्यां
इक खामोश दरिया बहता रहा अपने दरम्यां
उम्र भर कोई पुल न बन सका अपने दरम्यां
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------
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