सृष्टि
के पहले दिवस से लेकर
प्रलय के अंतिम क्षणों तक
मै तुम्हारी मुस्कान की
सुनहरी और गुनगुनी धूप
सेंकना चाहता हूँ
मुकेश इलाहाबादी ------------
के पहले दिवस से लेकर
प्रलय के अंतिम क्षणों तक
मै तुम्हारी मुस्कान की
सुनहरी और गुनगुनी धूप
सेंकना चाहता हूँ
मुकेश इलाहाबादी ------------