सुबह
होते ही तेरी यादों की
पगडंडियों पे चलने लगता हूँ
और सांझ तक ये सफर जारी रहता है
जब तक कि
खो नहीं जाता हूँ
तेरे ख्वाबों के जंगल में
ओ ! मेरी स्वीट स्वीट दोस्त सुन रही हो न ??
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
होते ही तेरी यादों की
पगडंडियों पे चलने लगता हूँ
और सांझ तक ये सफर जारी रहता है
जब तक कि
खो नहीं जाता हूँ
तेरे ख्वाबों के जंगल में
ओ ! मेरी स्वीट स्वीट दोस्त सुन रही हो न ??
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
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