रात खूं आलूदा हो गयी
चांदनी ख़फ़ा हो गयी
रो दिए तुम,बाद उसके
शाम ग़मज़दा हो गयी
दोस्त जब से तुम गए
ज़िंदगी बेमज़ा हो गयी
कंही चैन मिलता नहीं
हर बात बेमज़ा हो गयी
इक बार बता तो जाते
मुझसे खता क्या हो गयी
मुकेश इलाहाबादी ----
चांदनी ख़फ़ा हो गयी
रो दिए तुम,बाद उसके
शाम ग़मज़दा हो गयी
दोस्त जब से तुम गए
ज़िंदगी बेमज़ा हो गयी
कंही चैन मिलता नहीं
हर बात बेमज़ा हो गयी
इक बार बता तो जाते
मुझसे खता क्या हो गयी
मुकेश इलाहाबादी ----