भौंरा बन कानो में गुनगुना आया
इस तरह अपनी ग़ज़ल सुना आया
बद्तमीज़ आवारा पागल कहा पर
अपनी इक पहचान तो बना आया
मशरूफ थे जाने किसके ख्यालों में
पर मै तो दिल की बात सूना आया
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
इस तरह अपनी ग़ज़ल सुना आया
बद्तमीज़ आवारा पागल कहा पर
अपनी इक पहचान तो बना आया
मशरूफ थे जाने किसके ख्यालों में
पर मै तो दिल की बात सूना आया
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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