दोस्त बड़े गुस्से में लगते हो
तल्ख़ तेवर में बात करते हो
तुम्हारी बातों में सच्चाई है
गैर देश के वासी लगते हो
नीली -२ झील सी आखों में
तुम किसके सपने बुनते हो
तुम मुझे अपना पता दे दो
शहर में तुम कहाँ रहते हो
तुमसे दोस्ती करना चाहूँगा
तुम मुझे अच्छे लगते हो
मुकेश इलाहाबादी ---------
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