कभी तो तनहा भी रहा कीजिये
ज़िदंगी को यूँ भी जिया कीजिए
इतनी मशरूफ़ियत अच्छी नहीं
कभी तो बेवज़ह भी घूमा कीजिए
हमेशा मतलब से ही मिलते हो ,,
कभी बेमक़सद भी मिला कीजिए
सूरज ढल गया अभी ऑफिस में हो
साँझ तो अपने घर में रहा कीजिये
खबर तो रोज़ सूना करते हो कभी
अपनों का भी दुःख दर्द सुना कीजिए
मुकेश इलाहाबादी -----------------
ज़िदंगी को यूँ भी जिया कीजिए
इतनी मशरूफ़ियत अच्छी नहीं
कभी तो बेवज़ह भी घूमा कीजिए
हमेशा मतलब से ही मिलते हो ,,
कभी बेमक़सद भी मिला कीजिए
सूरज ढल गया अभी ऑफिस में हो
साँझ तो अपने घर में रहा कीजिये
खबर तो रोज़ सूना करते हो कभी
अपनों का भी दुःख दर्द सुना कीजिए
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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