दोस्त तुम भी अजब कमाल करने निकले हो,
मोम के लिबास मे धूप के सफ़र पे निकले हो
हथेली पे जो लोग बुझे चराग़ लिए फिरते हैं ,,
उन्ही से तुम रोशनी का पता पूछने निकले हो?
इन गूंगे बहरों के शहर मे स र ग म की बातें
तुम भी किन्हे राग जै जैवंती सुनाने निकले हो
शहर मे कर्फ़्यू लगा है और बेहद तनाव भी है
फ़साद हो रहा है और तुम तफरीह पे निकले हो
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
मोम के लिबास मे धूप के सफ़र पे निकले हो
हथेली पे जो लोग बुझे चराग़ लिए फिरते हैं ,,
उन्ही से तुम रोशनी का पता पूछने निकले हो?
इन गूंगे बहरों के शहर मे स र ग म की बातें
तुम भी किन्हे राग जै जैवंती सुनाने निकले हो
शहर मे कर्फ़्यू लगा है और बेहद तनाव भी है
फ़साद हो रहा है और तुम तफरीह पे निकले हो
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
No comments:
Post a Comment