यूँ तो कोई ख़ास काम नहीं
फिर भी चैनो आराम नहीं
माँ की दवाई लानी है, पर
पैसे का कोई इंतज़ाम नहीं
हमारे लिए धुप ही धूप है
ज़िदंगी सुनहरी शाम नहीं
अजब मुसलसल बारिस है
रुकने का कोई नाम नहीं
मुकेश सारे ग़म दूर हो जाएं
ऐसी कोई दवा या जाम नहीं
मुकेश इलाहाबादी -----------
फिर भी चैनो आराम नहीं
माँ की दवाई लानी है, पर
पैसे का कोई इंतज़ाम नहीं
हमारे लिए धुप ही धूप है
ज़िदंगी सुनहरी शाम नहीं
अजब मुसलसल बारिस है
रुकने का कोई नाम नहीं
मुकेश सारे ग़म दूर हो जाएं
ऐसी कोई दवा या जाम नहीं
मुकेश इलाहाबादी -----------
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