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Wednesday, 16 July 2014

यूँ तो कोई ख़ास काम नहीं

यूँ तो कोई ख़ास काम नहीं
फिर भी चैनो आराम नहीं

माँ की दवाई लानी है, पर
पैसे का कोई इंतज़ाम नहीं  

हमारे लिए धुप ही धूप है
ज़िदंगी सुनहरी शाम नहीं

अजब मुसलसल बारिस है
रुकने  का  कोई  नाम नहीं

मुकेश सारे ग़म दूर हो जाएं
ऐसी कोई दवा या जाम नहीं

मुकेश इलाहाबादी -----------

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