Pages

Tuesday, 15 July 2014

साँसे तेरी खुशबू - खुशबू

साँसे तेरी खुशबू -खुशबू
बातें  तेरी ग़ज़ल ग़ज़ल

देख मुसाफिर तेरी सूरत
भटके कितनी डगर डगर

दर - दर तेरा पता पूछता
घूम के आया नगर नगर

हैं  विरह में साँसे बेकाबू
देखी आखें  सजल सजल

है प्रेम गली अति सांकरी
देखो चलना संभल संभल

मुकेश इलाहाबादी -------

No comments:

Post a Comment