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Monday, 21 July 2014

ख्वाब में तो रोज़ - रोज़ आते ही हो

ख्वाब में तो रोज़ - रोज़ आते ही हो
कभी हकीकत में भी आ जाया करो
माना कि नाज़ तेरे दुनिया उठाती है
कभी ये मौक़ा हमको भी दिया करो
तेरी इक नज़र से बहार आ जाती है
हमपे भी  नज़रें इनायत किया करो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------

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