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Wednesday, 2 July 2014

सफर में था मगर फेहरिश्ते हमसफ़र में न था

सफर में था मगर फेहरिश्ते हमसफ़र में न था
हैसियत मेरी कुछ भी नहीं पर सिफर में न था

मुझे बगैर सुनाए कोई बात उसकी पूरी न होती
यूँ तो मै हर किस्से में था मग़र ज़िकर में न था

बन के खुशबू शामिल उसके नफ़स नफ़स में था
मुकेश गर कोई ढूँढता तो मै उसके शहर में न था

मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------

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