हुस्न मे उसके दरिया सी रवानी
देखी नही मैने उसकी सी जवानी
पल भर भी जुदा होने नही देती
ज़माने मे नही उसकी सी दीवानी
चाँदी सी रंगत और सोने से बाल
लगती है मुझको परियों की रानी
हर अंदाज़ नज़ाकत नफ़ासतभरा
बातों मे उसके मुहब्बत की कहानी
फैला दे जुल्फ तो छाँव ही छाँव
तपते हुए मौसम मे शाम सुहानी
मुकेश इलाबाबादी ----------------
देखी नही मैने उसकी सी जवानी
पल भर भी जुदा होने नही देती
ज़माने मे नही उसकी सी दीवानी
चाँदी सी रंगत और सोने से बाल
लगती है मुझको परियों की रानी
हर अंदाज़ नज़ाकत नफ़ासतभरा
बातों मे उसके मुहब्बत की कहानी
फैला दे जुल्फ तो छाँव ही छाँव
तपते हुए मौसम मे शाम सुहानी
मुकेश इलाबाबादी ----------------
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