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Wednesday, 9 July 2014

दिन में चैन रातों को आराम नहीं है

दिन में चैन रातों को आराम नहीं है
इश्क़ के सिवाए कोई काम नहीं है

उड़ते पंछी,पतंगो के लड़ते पेंच देखूं
मेरे पास वो फ़लक़ वो बाम नही है

तसल्ली से बैठे सिर्फ तेरे बारे में सोचूँ
इतनी तो फुरसत औ इंतज़ाम नहीं है

दुनिया के मैखाने मैखाने घूम के देखा,
तेरी आँखों से बेहतर कोई जाम नहीं है 

तुम्हारी यादों और चाँद ग़ज़लों के सिवा
दुनिया की कोई दौलत मेरे नाम नहीं है

मुकेश इलाहाबादी ------------------------

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