दिन में चैन रातों को आराम नहीं है
इश्क़ के सिवाए कोई काम नहीं है
उड़ते पंछी,पतंगो के लड़ते पेंच देखूं
मेरे पास वो फ़लक़ वो बाम नही है
तसल्ली से बैठे सिर्फ तेरे बारे में सोचूँ
इतनी तो फुरसत औ इंतज़ाम नहीं है
दुनिया के मैखाने मैखाने घूम के देखा,
तेरी आँखों से बेहतर कोई जाम नहीं है
तुम्हारी यादों और चाँद ग़ज़लों के सिवा
दुनिया की कोई दौलत मेरे नाम नहीं है
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
इश्क़ के सिवाए कोई काम नहीं है
उड़ते पंछी,पतंगो के लड़ते पेंच देखूं
मेरे पास वो फ़लक़ वो बाम नही है
तसल्ली से बैठे सिर्फ तेरे बारे में सोचूँ
इतनी तो फुरसत औ इंतज़ाम नहीं है
दुनिया के मैखाने मैखाने घूम के देखा,
तेरी आँखों से बेहतर कोई जाम नहीं है
तुम्हारी यादों और चाँद ग़ज़लों के सिवा
दुनिया की कोई दौलत मेरे नाम नहीं है
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
No comments:
Post a Comment