माथे पे जब सज जाती है ये बिंदिया
सभी को बहुत लुभाती है ये बिंदिया
हथेली के बीच ले के चूमूँ तेरा चेहरा
अँधेरे में भी जगमगाती है ये बिंदिया
अपनी जगह से फ़ैल के ये कुमकुम
रात की कहानी बताती है ये बिंदिया
आसमाँ के आँचल में सुबह का सूरज
किरणों सा फ़ैल जाती है ये बिंदिया
माँ के माथे पे गरिमा लगे, पत्नी के
माथे पे बहुत इठलाती है ये बिंदिया
मुकेश, थोड़ा सा भी प्यार मांगे तो
बहुत नखरे दिखाती है, ये बिंदिया
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
सभी को बहुत लुभाती है ये बिंदिया
हथेली के बीच ले के चूमूँ तेरा चेहरा
अँधेरे में भी जगमगाती है ये बिंदिया
अपनी जगह से फ़ैल के ये कुमकुम
रात की कहानी बताती है ये बिंदिया
आसमाँ के आँचल में सुबह का सूरज
किरणों सा फ़ैल जाती है ये बिंदिया
माँ के माथे पे गरिमा लगे, पत्नी के
माथे पे बहुत इठलाती है ये बिंदिया
मुकेश, थोड़ा सा भी प्यार मांगे तो
बहुत नखरे दिखाती है, ये बिंदिया
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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