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Wednesday, 13 March 2013

ग़म और दर्द की बातें न करो

ग़म  और दर्द की बातें न करो
बीमार से मर्ज़ की बातें न करो

हो गए हैं शहर में बेईमान सब
ऐसे मे  फ़र्ज़  की  बातें  न करो

मर रहे हैं जो किसान रोज़ रोज़
उनसे और क़र्ज़ की बातें न करो

जुर्म ही जिनका धर्मो ईमान है
उनसे हया शर्म की बातें न करो

जुडी हो जमात जब काहिलों की
तुम ऐसे मे कर्म की बातें न करो

मुकेश इलाहाबादी ----------------

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