एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 8 May 2013
अपने ख़्वाबों की मंजिल पे निकला था मुसाफिर
अपने ख़्वाबों की मंजिल पे निकला था मुसाफिर
देखा जो तेरा दर तो दर पे ठिठक गया ,,,,,,,,,,,,,
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------
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