एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 8 May 2013
न कुछ इस तरह जल सके कि लपटें उठा करें
न कुछ इस तरह जल सके कि लपटें उठा करें
न अंगार की माफिक खुद को जला चमका सके,
फक्त कुछ चिंगारियां सीली लकड़ी से उठा किये।।
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------
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