एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Sunday, 7 July 2013
उमड़ घुमड़ दरिया बहे, झर झर बहे प्रपात,
उमड़ घुमड़ दरिया बहे, झर झर बहे प्रपात,
बादल बन पिया बरसा रात भीगा मेरा गात
देख खुमारी अंखियन की सखियां करें ठिठोली
रात पिया संग तू ने कितनी की है जोराजारी
मुकेष इलाहाबादी ....................
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment