एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Thursday, 25 July 2013
अपनी हाथ की लकीरों मे हमे ढूंढते हैं
!!अपनी हाथ की लकीरों मे हमे ढूंढते हैं,,!!
!!उन्हे क्या पता हम उनकी रुह मे बसे हैं!!
मुकेश इलाहाबादी..........................
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment