एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Thursday, 25 July 2013
अपनी हाथ की लकीरों मे हमे ढूंढते हैं
!!अपनी हाथ की लकीरों मे हमे ढूंढते हैं,,!!
!!उन्हे क्या पता हम उनकी रुह मे बसे हैं!!
मुकेश इलाहाबादी..........................
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment