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Friday, 24 January 2014

दिल में अरमान आखों मे दरिया है

दिल में अरमान आखों मे दरिया है
सीने में वो तूफ़ान छुपा के जिया है

ये सच है, अन्धेरा घना है फिर भी
कोशिशों का चराग़ रौशन किया है

वो उठती हुई लहरें रूठा हुआ माझी
मुस्किल से कश्ती किनारे किया है

महफ़िल मे जलजला आयेगा आज
उसने चेहरे से नक़ाब हटा लिया है

घुप्प करियाई अंधेरी रातों में मुकेश
चमकते जुगनुओं के सहारे जिया है

मुकेश इलाहाबादी -----------------------

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