दिल में अरमान आखों मे दरिया है
सीने में वो तूफ़ान छुपा के जिया है
ये सच है, अन्धेरा घना है फिर भी
कोशिशों का चराग़ रौशन किया है
वो उठती हुई लहरें रूठा हुआ माझी
मुस्किल से कश्ती किनारे किया है
महफ़िल मे जलजला आयेगा आज
उसने चेहरे से नक़ाब हटा लिया है
घुप्प करियाई अंधेरी रातों में मुकेश
चमकते जुगनुओं के सहारे जिया है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
सीने में वो तूफ़ान छुपा के जिया है
ये सच है, अन्धेरा घना है फिर भी
कोशिशों का चराग़ रौशन किया है
वो उठती हुई लहरें रूठा हुआ माझी
मुस्किल से कश्ती किनारे किया है
महफ़िल मे जलजला आयेगा आज
उसने चेहरे से नक़ाब हटा लिया है
घुप्प करियाई अंधेरी रातों में मुकेश
चमकते जुगनुओं के सहारे जिया है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
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