दृश्य एक
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औरत,
गीले आटे की
गोलाइयों को
हथेलियों के बीच
और ज़्यादा
गोलाई दे रही है
अब, उस गोलाई को
थपकी देकर
पलेथन लगा रही है
पलेथन लगीं गोलाई
चकले बेलन के बीच
गोल - गोल घूम रही है
सुडौल हो चुकी रोटी
तवे पे सिझाई जा रही है
आँच पे अलट - पलट के
पकाई जा रही है
लो, अब रोटी पक चूकी है
गोल, फूली , चकत्तेदार
मर्द रोटी खा कर
खुश और तृप्त है
दृश्य दो
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औरत तब्दील हो गयी है
गीले आटे की लोई में
मर्द गोलाइयों को
थपकी देकर
बेल रहा है सिझा रहा है
पका रहा है
खुश हो रहा है
रोटी बेल के
औरत तृप्त है
रोटी सा सीझ के
मुकेश इलाहाबादी ---------
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