मैंने बहते हुए पानी पे अंजाम लिख दिया
दरिया की रवानी पे तेरा नाम लिख दिया
मेरे लम्हे - लम्हे का हाल तुझे मिलता रहे
गुलशन के हर फूल पे पैगाम लिख दिया
ख़ुदा और मुहब्बत में कुछ भी फर्क नहीं है
है इश्क़ की इबारत सुबहो शाम लिख दिया
मुहब्बत की इक पाक सी कहानी लिखी जाए
दुनिया ने तो इसे बहुत बदनाम लिख दिया
मुकेश तेरे घर का पता मुझे मालूम नहीं है
लिहाज़ा ख़त तुझे हमने गुमनाम लिख दिया
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------
दरिया की रवानी पे तेरा नाम लिख दिया
मेरे लम्हे - लम्हे का हाल तुझे मिलता रहे
गुलशन के हर फूल पे पैगाम लिख दिया
ख़ुदा और मुहब्बत में कुछ भी फर्क नहीं है
है इश्क़ की इबारत सुबहो शाम लिख दिया
मुहब्बत की इक पाक सी कहानी लिखी जाए
दुनिया ने तो इसे बहुत बदनाम लिख दिया
मुकेश तेरे घर का पता मुझे मालूम नहीं है
लिहाज़ा ख़त तुझे हमने गुमनाम लिख दिया
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------
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