गुलाब की ताज़ा कली सा खिलते हो
मुस्कुराते हो तो फूल सा लगते हो
रजनीगंधा के फूल झरा करते हैं
जब तुम यूँ खिलखिला के हँसते हो
आँगन में तमाम मोती बिखर जाते हैं
जब तुम अपने गीले गेसू झटकते हो
मेरी बाहों की दश्त ऐ तीरगी में
तुम चाँद सितारों सा चमकते हो
ये भोली सी सूरत प्यारी सी बातें
तुम मुझे परियों के देश के लगते हो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
मुस्कुराते हो तो फूल सा लगते हो
रजनीगंधा के फूल झरा करते हैं
जब तुम यूँ खिलखिला के हँसते हो
आँगन में तमाम मोती बिखर जाते हैं
जब तुम अपने गीले गेसू झटकते हो
मेरी बाहों की दश्त ऐ तीरगी में
तुम चाँद सितारों सा चमकते हो
ये भोली सी सूरत प्यारी सी बातें
तुम मुझे परियों के देश के लगते हो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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