मुझसे हर राज़ बताये रखता है
ईश्क की बात छुपाये रखता है
यूँ तो हमसे कोई पर्देदारी नहीं
आदतन नज़रें झुकाये रखता है
परियों की बातें फूलों के किस्से
क्या-२ ख्वाब सजाये रखता है ?
कोई ख़त न कोई संदेसा आया
दिल है की आस लगाये रखता है
होश में उसकी याद नहीं जाती
पी कर ख़ुद को भुलाये रखता है
मुकेश इलाहाबादी --------------
ईश्क की बात छुपाये रखता है
यूँ तो हमसे कोई पर्देदारी नहीं
आदतन नज़रें झुकाये रखता है
परियों की बातें फूलों के किस्से
क्या-२ ख्वाब सजाये रखता है ?
कोई ख़त न कोई संदेसा आया
दिल है की आस लगाये रखता है
होश में उसकी याद नहीं जाती
पी कर ख़ुद को भुलाये रखता है
मुकेश इलाहाबादी --------------
No comments:
Post a Comment