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Monday, 1 September 2014

मुझसे हर राज़ बताये रखता है

मुझसे हर राज़ बताये रखता है
ईश्क की बात छुपाये रखता है

यूँ तो हमसे कोई पर्देदारी नहीं
आदतन नज़रें झुकाये रखता है

परियों की बातें फूलों के किस्से
क्या-२ ख्वाब सजाये रखता है ?

कोई ख़त न कोई संदेसा आया
दिल है की आस लगाये रखता है

होश में उसकी याद नहीं जाती
पी कर ख़ुद को भुलाये रखता है

मुकेश इलाहाबादी --------------

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