एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 12 September 2014
ये सूखा हुआ मौसम शिकायत कर रहा है घटाओं से
ये सूखा हुआ मौसम शिकायत कर रहा है घटाओं से
घटाएं जो क़ैद होके रह गयी हैं तुम्हारी इन ज़ुल्फ़ों में
देख कर तुम्हारी आखों की लरज़ती बहती हुई नदी
समंदर भी है खफातेरी आखों की दरिया की मौज़ों से
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------------
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