रात भर मै यूँ ही बहता रहा
खाब की नदी में तैरता रहा
यादों की जुगनू चमकते रहे
देर तक उन्हें ही तकता रहा
चाँद,सितारें,आसमाँ चुप थे
पपीहा देर तक बोलता रहा
अँधेरे में उँकड़ू बैठ कर मै
तेरे बारे में ही सोचता रहा
कोई नहीं था बोलने वाला
अपनी ही साँसे सुनता रहा
मुकेश इलाहाबादी -------
खाब की नदी में तैरता रहा
यादों की जुगनू चमकते रहे
देर तक उन्हें ही तकता रहा
चाँद,सितारें,आसमाँ चुप थे
पपीहा देर तक बोलता रहा
अँधेरे में उँकड़ू बैठ कर मै
तेरे बारे में ही सोचता रहा
कोई नहीं था बोलने वाला
अपनी ही साँसे सुनता रहा
मुकेश इलाहाबादी -------
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