जैसेकी सावन आया लगता है
तुमसे मिल के ऐसा लगता है
तुमसे मिल के ऐसा लगता है
दिन होली और रात दिवाली
हरदिन त्यौहार सा लगता है
हरदिन त्यौहार सा लगता है
जाडेकी धूप मे हमतुम बैठे हैं
देखो कितना अच्छा लगता है
देखो कितना अच्छा लगता है
तेरेे बालों मे तिनका अटका है
तेरा आशिक आवारा लगता है
तेरा आशिक आवारा लगता है
जब जब तुम साथ में रहती हो
लम्हा लम्हा खुशनुमा लगता है
लम्हा लम्हा खुशनुमा लगता है
मुकेश इलाहाबादी ................
No comments:
Post a Comment