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Monday, 22 December 2014

भले ही जुबॉ अपनी खामोश रखती है

भले ही जुबॉ अपनी खामोश रखती है
मगर निगाहें उसकी सब कुछ बोलती हैं
सच तो ये है उसे भी हमसे मुहब्बत है
ये अलग बात आदतन मगरुर रहती है
मुकेश इलाहाबादी ---------------------

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