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Thursday, 13 August 2015

जब तप रहा होता है सूरज

जब
तप रहा होता है सूरज 
पूरी शान से 
और सुख रहा होता है 
खेत खलिहान 
नदी पोखर 
यहाँ तक की 
सूख चुके होती है 
जुबां और तालू भी 
तब भी , 
देखूं 
तुम्हारी कजरारी आखों में 
तो उत्तर आते हैं 
काले मेघ  
और भीग जाता है
तन और मन  - दोनो

मुकेश इलाहाबादी ------------------- 

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