थोड़ी सही ज़िदंगानी दे दे
ख़ुश्क आखों में पानी दे दे
हम भी कश्ती लिए बैठे हैं
मेरे ख़्वाबों को रवानी दे दे
मोर पंखी बांसुरी लाया हूँ
इक मीरा सी दीवानी दे दे
कुछ देर मै भी तो उड़ लूँ
ये फ़लक़ आसमानी दे दे
वस्ल के बात सुबह न हो
कि ऐसी रात तूफानी दे दे
मुकेश इलाहाबादी -------
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