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Sunday, 23 August 2015

थोड़ी सही ज़िदंगानी दे दे

थोड़ी  सही ज़िदंगानी दे  दे 
ख़ुश्क आखों में पानी दे दे 

हम भी कश्ती लिए बैठे हैं  
मेरे ख़्वाबों को रवानी दे दे 

मोर पंखी बांसुरी लाया हूँ 
इक मीरा सी दीवानी दे दे 

कुछ देर मै भी तो उड़ लूँ 
ये फ़लक़ आसमानी  दे दे 

वस्ल के बात सुबह न हो 
कि ऐसी रात तूफानी दे दे 

मुकेश इलाहाबादी -------

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