हर वक़्त न मुस्कुराया करो
कभी - २ रूठ भी जाया करो
माना, हया तुझपे फबती है
पर बेशरम हो जाया करो
मै बुलाऊँ तुमको और तुम
जान बूझ कर न आया करो
सजी धजी अच्छी लगती हो
कभी बिन सजे आया करो
हर दम मै ही ग़ज़लें सुनाऊँ
कभी तुम भी सुनाया करो
मुकेश इलाहाबादी ---------
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