एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Saturday, 28 May 2016
बादलों का जिस्म ले बरस जाऊं
बादलों का जिस्म ले बरस जाऊं
बन हवा का झोंका लिपट जाऊँ
झील सी गहरी नीली आँखों में
अश्के महताब सा उतर जाऊँ
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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