ख्वाबों ख्यालों में जिसे देखता रहा
है तू वही चेहरा जिसे मैं ढूँढता रहा
इक बार छुआ था तुमने आँखों से
फिर मेरा वज़ूद ताउम्र महकता रहा
बादलों से निकला, इकपल को चाँद
फिर शबभर बदन मेरा सुलगता रहा
मुकेश इलाहाबादी ----------------
है तू वही चेहरा जिसे मैं ढूँढता रहा
इक बार छुआ था तुमने आँखों से
फिर मेरा वज़ूद ताउम्र महकता रहा
बादलों से निकला, इकपल को चाँद
फिर शबभर बदन मेरा सुलगता रहा
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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