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Friday, 20 January 2017

चाँद के उगने से, या फिर गुलों के खिलने से

चाँद के उगने से, या फिर गुलों के खिलने से
याद रखता हूँ तुझे किसी न किसी बहाने से

मुकेश इलाहाबादी ----------------------------

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