उलझने तो बहुत हैं लेकिन
तुम्ही से उम्मीद है लेकिन
बाहर तो हँसता ही मिलेगा
अंदर से ग़मगीन है लेकिन
उड़ता तो हूँ, मै खलाओं में
पाँव तले, ज़मीन है लेकिन
दौलते,जहाँ हो न हो, मगर
मेरा दोस्त हसीन है लेकिन
भले मुकेश तुम्हे अच्छा लगे
वो कुछ तो अजीब है लेकिन
मुकेश इलाहाबादी --------
तुम्ही से उम्मीद है लेकिन
बाहर तो हँसता ही मिलेगा
अंदर से ग़मगीन है लेकिन
उड़ता तो हूँ, मै खलाओं में
पाँव तले, ज़मीन है लेकिन
दौलते,जहाँ हो न हो, मगर
मेरा दोस्त हसीन है लेकिन
भले मुकेश तुम्हे अच्छा लगे
वो कुछ तो अजीब है लेकिन
मुकेश इलाहाबादी --------
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