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Monday, 16 October 2017

दीप हो तुम दिवाली हो तुम



दीप हो तुम दिवाली हो तुम
घरभर की खुशहाली हो तुम

कौन कहता है सिर्फ पत्नी हो
रिद्धि- सिद्धि, लक्ष्मी हो तुम

हो लाई लावा खील बताशा
अक्षत,फूल व रोली हो तुम

अन्नपूर्णा, हो हम सब की
छप्पन भोग मिठाई हो तुम

चकरघिन्नी सा नाचती हो
हँस दो तो फुलझड़ी हो तुम

मुकेश इलाहाबादी -----------

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