दीप हो तुम दिवाली हो तुम
घरभर की खुशहाली हो तुम
कौन कहता है सिर्फ पत्नी हो
रिद्धि- सिद्धि, लक्ष्मी हो तुम
हो लाई लावा खील बताशा
अक्षत,फूल व रोली हो तुम
अन्नपूर्णा, हो हम सब की
छप्पन भोग मिठाई हो तुम
चकरघिन्नी सा नाचती हो
हँस दो तो फुलझड़ी हो तुम
मुकेश इलाहाबादी -----------
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