दिल के तम्बूरे में सिर्फ तेरा ही राग बजता है
वरना तो ये तम्बूरा हरदम गुप् - चुप रहता है
दुनिया के झमेले से जो कभी फुर्सत मिले तो
मुक्कु अपनी धड़कनो को सुन्ना क्या कहता है
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
वरना तो ये तम्बूरा हरदम गुप् - चुप रहता है
दुनिया के झमेले से जो कभी फुर्सत मिले तो
मुक्कु अपनी धड़कनो को सुन्ना क्या कहता है
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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