Pages

Monday, 18 December 2017

तुमसे मिलना होगा न मिलाना होगा

तुमसे मिलना होगा न मिलाना होगा
मेरा अब कभी भी न मुस्कुराना होगा

न मेरा ख़त पढोगे न मेरी कही सुनोगे
मुझे अपनी बातें ग़ज़ल में कहना होगा

न जुगनू, न चाँद न, पास कोई चराग़
सफर मुझे अँधेरे में तय करना होगा

मेरा चाँद अभी बादलों की ओट में है
दीदार के लिए कुछ देर ठहरना होगा

ईश्क़ का मज़ा जो चाहते हो देर तक
कुछ पल के लिए सही बिछड़ना होगा

मुकेश इलाहाबादी --------------------

No comments:

Post a Comment