एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 19 December 2017
सोचता हूँ ये गुनाह कर लूँ मै भी
सोचता हूँ ये गुनाह कर लूँ मै भी
शराब ईश्क़ से जाम भर लूँ मै भी
रह जाए क्यूँ कोई अरमाँ दिल में
खुल के तुमसे ईश्क़ कर लूँ मै भी
सारी दुनिया फ़िदा है तुझपे, फिर
क्यूँ न तेरी सूरत पे मर लूँ मै भी
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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