पहले शहर में मेरे बारे में हर इक को बताया गया
फिर इश्तेहार की तरह दीवारों में चिपकाया गया
मेरा गुनाह, हाकिम के खिलाफ हाथ उठाना था
लिहाज़ा झूठे आरोप लगा, सरे आम पीटा गया
जब - जब इश्क़ लिखा सबने पढ़ा सबने सराहा
इश्क़ किया तो चटखारे ले ले के सुनाया गया
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
फिर इश्तेहार की तरह दीवारों में चिपकाया गया
मेरा गुनाह, हाकिम के खिलाफ हाथ उठाना था
लिहाज़ा झूठे आरोप लगा, सरे आम पीटा गया
जब - जब इश्क़ लिखा सबने पढ़ा सबने सराहा
इश्क़ किया तो चटखारे ले ले के सुनाया गया
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
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