तेरा ,
नाम नही लिखा है
मेरी हथेली पे,
फिर भी देख लेता हूँ
तेरी फोटो
चुपके चुपके एफ. बी पे
रात
बीत जाती है
करवटों के बीच
दिन गुज़र जाता है
रोते हुए
अपनी बदऩसीबी पे
मुकेश इलाहाबादी......
नाम नही लिखा है
मेरी हथेली पे,
फिर भी देख लेता हूँ
तेरी फोटो
चुपके चुपके एफ. बी पे
रात
बीत जाती है
करवटों के बीच
दिन गुज़र जाता है
रोते हुए
अपनी बदऩसीबी पे
मुकेश इलाहाबादी......
No comments:
Post a Comment